जब संकट में पड़ी थी जान, तब केवल प्रभु का नाम बचा सका – भक्ति की सच्ची शक्ति


















जीवन में ऐसे मोड़ कई बार आते हैं, जब इंसान का हौसला टूटने लगता है, सभी रास्ते बंद से लगते हैं, और कोई सहारा नहीं दिखता। ऐसे ही समय में जो नाम लिया जाता है — वही असली सहारा बनता है। और जब वह नाम प्रभु का हो, तो चमत्कार निश्चित है।

🌪️ घटना की शुरुआत

यह घटना एक सामान्य युवक "अर्जुन" की है, जो एक बार दोस्तों के साथ पहाड़ों पर घूमने गया था। सबकुछ सुंदर चल रहा था — नज़ारे, मुस्कानें, मज़ा… लेकिन एक पल में सब बदल गया।

खराब मौसम, फिसलन भरी चट्टान, और अचानक पैर फिसला… अर्जुन सीधा नीचे खाई की ओर लुड़कता चला गया। सभी दोस्त चीख उठे।

🧘‍♂️ प्रभु का स्मरण

गिरते समय अर्जुन की आँखों के सामने पूरा जीवन घूम गया। वह कुछ नहीं कर पा रहा था… केवल चिल्लाया —
"राम… राम… राम…"
एक पल में मानो सब थम गया।

उसे नहीं पता चला कैसे, लेकिन एक पेड़ की मोटी शाखा पर उसका हाथ फँस गया। उस शाखा ने उसकी जान बचा ली। कुछ ही देर में रेस्क्यू टीम आई और उसे ऊपर खींच लिया गया।

🕉️ आस्था का जन्म

अर्जुन इससे पहले कभी धार्मिक नहीं था। लेकिन उस दिन से उसके जीवन का हर दिन प्रभु के नाम से शुरू होता है और उसी पर खत्म।

आज वह हर मंगलवार को हनुमान चालीसा पढ़ता है, हर शनिवार को सुंदरकांड का पाठ करता है और खुद लोगों को संकटों से बाहर निकलने के लिए प्रभु की भक्ति की सलाह देता है।

💫 भक्ति की ताकत क्या थी?

  • भक्ति ने अर्जुन को डर के उस क्षण में साहस दिया।
  • प्रभु का नाम उसकी चेतना में आया और वही उसका बचाव बना।
  • यह केवल संयोग नहीं था, यह श्रद्धा का प्रतिफल था।

🙌 क्या हम केवल संकट में ही याद करते हैं प्रभु को?

प्रभु हमें हर पल देखते हैं — अगर हम उन्हें रोज़ स्मरण करें, तो शायद संकट आए ही ना।


🔍 सीख

  • जब सब साथ छोड़ दे, तब प्रभु साथ निभाते हैं।
  • प्रभु का नाम केवल शब्द नहीं, शक्ति है।
  • संकट में लिया गया सच्चे मन से नाम, जीवन बदल सकता है।

📣 अब आपकी बारी!

क्या आपने भी कभी ऐसा अनुभव किया है जहाँ भक्ति ने जीवन बदल दिया हो?
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जब संकट में पड़ी थी जान, तब केवल प्रभु का नाम बचा सका – भक्ति की सच्ची शक्ति जब संकट में पड़ी थी जान, तब केवल प्रभु का नाम बचा सका – भक्ति की सच्ची शक्ति Reviewed by Hitesh Sharma on April 15, 2025 Rating: 5

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